Govardhan Pooja 2023: दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन पूजा करने की पौराणिक विधि और मुहूर्त के बारे में आपको बताते हैं।
Govardhan Pooja 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी प्रथमी तिथि को गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। गोवर्धन भगवान को सनातन धर्म में बहुत माना जाता है। लोग बड़े धूमधाम से इस दिन को मनाते हैं।
(Courtesy-Twitter)
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन भगवान के प्रति आस्था समर्पित करने के लिए किया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट का त्यौहार भी कहा जाता है। दीपावली के दूसरे दिन यह पावन त्यौहार मनाया जाता है। ये पूजा मनुष्य और प्रकृति के बीच घनिष्ठ संबंध को दर्शाता है।
गोवर्धन पूजा की तिथि
इस साल गोवर्धन पूजा 14 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 नवंबर को 04:19 से शुरू होकर 15 नवंबर को दोपहर 02:41 पर समाप्त हो जाएगी।
(Courtesy-Instagram)
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग और ज्योतिषियों के अनुसार अगर आप 15 नवंबर को सुबह 04:19 से 08:42 के अंदर पूजा करें तो पूजा का फल अवश्य मिलेगा।
गोवर्धन पूजा की विधि
- त्यौहार के दिन सुबह जल्दी उठकर नहायें और मुहूर्त के अन्दर ही भगवान गोवर्धन की गाय के गोबर से मूर्ति बनाएं।
- भगवान गोवर्धन की मूर्ति के साथ ग्वाल-बाल, पेड़-पौधे और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति भी बनाएं।
- इसके बाद भगवान गोवर्धन की विधि के अनुसार पूजा करें।
- पूजा के लिए दीपक जलाएं और दीपक में तेल की जगह गाय के घी का उपयोग करें। इस दौरान फल, धूप, अगरबत्ती और फूल को अर्पित कर भगवान का पूजन करें।
- भगवान गोवर्धन को अन्नकूट का भोग लगाएं। इसके बाद गोवर्धन व्रत पूजा की कथा जरूर सुनें।
- अन्नकूट के भोग को प्रसाद के रूप में सभी को बांट दें।
View this post on Instagram
(Courtesy-Instagram)
Govardhan Pooja 2023
कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है और गरीबी का नाश होता है। इसके अलावा घर में आनंद और गौ रस यानी गाय की कृपा प्राप्त होती है।
( ये भी पढ़ें –आप भी ढूंढ रहे हैं Diwali के लिए डेकोरेशन आइडियाज? तो ये रहे 9 Awesome टिप्स )
गोवर्धन पूजा का पौराणिक रहस्य
श्रीमद भागवत महापुराण के अनुसार द्वापरयुग में मथुरा में राजा शूरशेन का शासन था। शूरशेन का बेटा कंस बहुत ही अत्याचारी था। उसने अपनी बहन देवकी की शादी वसुदेव से करनी चाही। जब वसुदेव और देवकी का विवाह संपन्न हुआ तो आकाशवाणी हुई। उस आकाशवाणी के अनुसार देवकी के आठवें पुत्र द्वारा कंस का वध होना था। जब कंस ने ये सुना तो उसने अपने जमाई और बहन को कारागार में डाल दिया। समय आने पर देवकी के पुत्र होते गए और कंस उन्हें मारता गया। जब देवकी का सातवां गर्भ था तो उसे योगमाया ने वसुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ में प्रतिस्थापित कर दिया गया।
(Courtesy-Twitter)
जब देवकी का आठवां पुत्र उत्पन्न हुआ तो विष्णु भगवान की कृपा से वसुदेव उसे गोकुल में नंद के घर में रख आये। नंद के घर में वह पुत्र कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण थे। समय के साथ भगवान बड़े होते गए। एक दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को जब सारे गोकुल वासी इंद्र के पूजन की तैयारी कर रहे थे, तब श्रीकृष्ण ने इंद्रपूजा के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा का सुझाव दिया। तब सारे गोकुलवासियों ने गोवर्धन की पूजा की। उनकी इस पूजा से खुश होकर गोवर्धन भगवान ने उन्हें दर्शन देकर बहुत सारे उपहार दिए।
Leave a light on ll #GovardhanPuja2022 spl. ll @Kitabganj1#krishnalove#indianvalues#shrikrishna#ISKCON#govardhanpooja#armaantalkies pic.twitter.com/HVB0ED3mZo
— Rj Armaan (@calmRjarmaan) October 26, 2022
(Courtesy-Twitter)
इंद्र को उनकी पूजा न होने की बात पर गुस्सा आ गया और उन्होंने पूरे गोकुल में घनघोर वर्षा कर दी। वर्षा से बचने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ की उंगली से उठाकर सभी की रक्षा की। इस चमत्कार को देखकर इंद्र का अभिमान चूर हो गया और वो कृष्ण जी की शरण में आये।
(Courtesy-Instagram)
इसके बाद सभी गोकुलवासियों ने अपने हाथों से 56 भोग बनाकर कृष्ण जी को खिलाए। तभी से भगवान गोवर्धन की पूजा की परंपरा चली आ रही है।
आपको Govardhan Pooja 2023 पर दी गई जानकारी कैसी लगी? कमेंट में जरूर बताएं और ऐसी जानकारी के लिए BTVNEWZ पर बनें रहें।