Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी व्रत का दिन हिन्दू धर्म में काफी शुभ माना जाता है। आपको सही तिथि और मुहूर्त के बारे में बताते हैं।
Masik Durgashtami 2024: सनातन धर्म में हर दिन किसी त्यौहार और शुभ काम का मुहूर्त होता है। मासिक दुर्गाष्टमी भी हिन्दुओं के खास व्रतों में से एक है, जिसे लोग बड़ी ही भक्ति भावना से करते हैं। इस अष्टमी के व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व है। इस दिन माता दुर्गा की पूजा की जाती है।
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मासिक दुर्गाष्टमी सनातनियों के लिए एक शुभ दिन है। भक्त लोग इस दिन मां के लिए व्रत का पालन करते हैं। इस व्रत का पालन उचित मुहूर्त और पूजा से किया जाये, तो फल जरूर मिलता है। आपको दुर्गाष्टमी व्रत के मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
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Masik Durgashtami 2024
सबसे पहले आपको बता दें कि मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन जो कोई भी देवी माता का यह व्रत रखते हैं, उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। आइए अब व्रत की तिथि और समय के बारे में जान लेते हैं।
A day to devote your soul and spirit in bhakti of shakti🔱
The creator of universe ma durga🙏#दुर्गाष्टमी #durgaashtami pic.twitter.com/b0hPSKRLsn— Sapana Kumawat (@thesapana) October 22, 2023
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शुभ तिथि
इस माह मासिक दुर्गाष्टमी की तिथि का प्रारंभ 16 फरवरी को शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरू हो चुका है और इस तिथि का समापन 17 फरवरी 2024 को दोपहर 2 बजकर 49 मिनट पर होगा। व्रत का अभिजीत मुहूर्त 17 फरवरी के दिन के 12 बजकर 35 मिनट से 1 बजकर 59 मिनट तक का है।
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पूजा विधि
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत की पूजा विधि को अगर सही तरीके से अपनाया जाये, तो व्रत का फल जरूर मिलता है। आइए अब पूजा विधि के बारे में जान लेते हैं।
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- सबसे पहले सुबह जल्दी उठें और स्वच्छ मन रखकर स्नान करें।
- इसके बाद सारे घर में साफ-सफाई करें और मंदिर को भी पूरी तरीके सजायें।
- मंदिर में माता दुर्गा की मूर्ति स्थापित कर उनके सामने घी का दिया जलाएं।
- माता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान करायें और फिर साफ कपड़े से मूर्ति को पोंछ दें।
- इसके बाद माता दुर्गा को कुककुम और चंदन का तिलक लगाएं और गुड़हल का फूल अर्पित कर दें।
- दुर्गाष्टमी पर माता को मिठाई और फल का भोग लगाएं।
- दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ सच्चे मन से करें और माता के मंत्रों से हवन भी करें।
- हवन समाप्त होने के बाद मैय्या की आरती कर शंख भी जरूर बजाएं।
- आरती पूरी हो जाने के बाद सभी घरवालों को प्रसाद बांट दें।
- व्रत का पारण अगले दिन शुद्ध और सात्विक भोजन से करें और व्रत के दिन दूसरे को बुरा-भला न बोलें।
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